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मैने जिंदगी से सिखा की जीस कि मंजिल खुब्सुरत होती

मैने जिंदगी से सिखा 
की जीस कि मंजिल खुब्सुरत होती है वो तब तक ही अकेले रह्ते है जब तक वो मन्जिल तक पहुच ना जाए उस के बाद तो रिश्त दारो की कमी नही होती Vijay Suprabha Soumya Jain   कवि जय पटेल दीवाना Pragati Maurya
मैने जिंदगी से सिखा 
की जीस कि मंजिल खुब्सुरत होती है वो तब तक ही अकेले रह्ते है जब तक वो मन्जिल तक पहुच ना जाए उस के बाद तो रिश्त दारो की कमी नही होती Vijay Suprabha Soumya Jain   कवि जय पटेल दीवाना Pragati Maurya