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तलब लगी थी सिगार की और उसने अंगारों से दहकते लाल

तलब लगी थी सिगार की और उसने
अंगारों से  दहकते लाल सुर्ख होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और कहा- क्या अब भी चाह सिगार की रखतें हों? #सिगार
तलब लगी थी सिगार की और उसने
अंगारों से  दहकते लाल सुर्ख होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और कहा- क्या अब भी चाह सिगार की रखतें हों? #सिगार