Nojoto: Largest Storytelling Platform

तलब लगी थी सिगार की और उसने अंगारों से दहकते लाल

तलब लगी थी सिगार की और उसने
अंगारों से  दहकते लाल सुर्ख होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और कहा- क्या अब भी चाह सिगार की रखतें हों? #सिगार
तलब लगी थी सिगार की और उसने
अंगारों से  दहकते लाल सुर्ख होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और कहा- क्या अब भी चाह सिगार की रखतें हों? #सिगार
Home
Explore
Events
Notification
Profile