आ के तन्हाई में हर वक्त सदा देता है तेरा खयाल मुझे जीने की सजा देता है गुरुर ए शम्स दिखाता है सुबह से शाम तलक रात होते ही वो सितारो को सज़ा देता है वो अता करता है हर रोज़ नया ज़ख्म मुझे बाद हँस कर मुझे जीने की दुआ देता है बेखबर खुद से वो कर देता है बस एक पल में जिस किसी पर वो नज़र अपनी डाल देता है मेरी गली में है एक मोड़ जहाँ पर आ कर वो अपना हाथ मेरे हाथों से छुड़ा देता है छोड़ तो सकता हु मै भी उसे "गुलाम" मगर खयाल ए हिज़्र मेरे दिल को डरा देता है ~ गुलाम फखर ©Gulam Fakhar #रात #सितारे #ग़ज़ल #शायरी #ज़ख्म #तन्हाई #BoneFire