कानून की धज्जियां उड़ी, नपुंसक हो गया समाज है
मासूम गुड़िया की जान गई, क्यों उठती नहीं आवाज़ है
कहां गए वो अवॉर्ड वापसी, कहां गए तीनों खान
कहां छुपे हो कैंडल वालों, अब कहां है नारी सम्मान
पुरुष का पौरुष कहां, कहां है नारी का नारीत्व
अब भी समय है बचा लो, मानवता का अस्तित्व
ढूंढो स्वयं में महाराणा को, हां तुम में भी फौलाद है
समाप्त करो इन गिद्धों को, ये मुगलों की औलाद है
न हिन्दू है न मुस्लिम है, गुड़िया देश की बेटी है
बेटियों की ये दशा देख, मां भारती भी रोती है
- आर्यन देव राजपूत 🇮🇳🚩🗡️
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