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वो भी क्या दिन थे जब कोई मंजिल नहीं थी मर मर के जी

 वो भी क्या दिन थे
जब कोई मंजिल नहीं थी
मर मर के जी रहा था मैं
फिर उसे देखा
उसकी पहली झलक को भूल पाना
Ae dil hai muskil
Ae dil hai muskil...
 वो भी क्या दिन थे
जब कोई मंजिल नहीं थी
मर मर के जी रहा था मैं
फिर उसे देखा
उसकी पहली झलक को भूल पाना
Ae dil hai muskil
Ae dil hai muskil...
navishsingh7692

Navish Singh

New Creator

वो भी क्या दिन थे जब कोई मंजिल नहीं थी मर मर के जी रहा था मैं फिर उसे देखा उसकी पहली झलक को भूल पाना Ae dil hai muskil Ae dil hai muskil...