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#OpenPoetry के आज फिर भारत माँ के लाल याद आ गये। ख

#OpenPoetry के आज फिर भारत माँ के
लाल याद आ गये।
खुदीराम बोस की
बलिदान याद आ गये।।
जिसने सीचा रग रग से
भारत माँ के मिट्टी को।
हर कण कण में बसा है
बलिदान की अमर कहानी को।।

जिसका सपना देखा था
वो ला कर पग धरा
खड़ा कर गये 
क्या बताऊं अपने ही 
बर्बादी की कहानियां 
अपने अपने राजनीति की 
रोटियाँ को सेकने के चक्कर में 
आपस में दंगा करवा गये।। 

आज फिर से भारत माँ के 
लाल याद आ गये। 
खुदीराम बोस की 
बलिदान याद आ गये 

खुदीराम बोस की बलिदान को 
कोटि कोटि प्रणाम खुदीराम बोस की बलिदान को कोटि कोटि नमन
#OpenPoetry के आज फिर भारत माँ के
लाल याद आ गये।
खुदीराम बोस की
बलिदान याद आ गये।।
जिसने सीचा रग रग से
भारत माँ के मिट्टी को।
हर कण कण में बसा है
बलिदान की अमर कहानी को।।

जिसका सपना देखा था
वो ला कर पग धरा
खड़ा कर गये 
क्या बताऊं अपने ही 
बर्बादी की कहानियां 
अपने अपने राजनीति की 
रोटियाँ को सेकने के चक्कर में 
आपस में दंगा करवा गये।। 

आज फिर से भारत माँ के 
लाल याद आ गये। 
खुदीराम बोस की 
बलिदान याद आ गये 

खुदीराम बोस की बलिदान को 
कोटि कोटि प्रणाम खुदीराम बोस की बलिदान को कोटि कोटि नमन