' नकाब ' ऐसे गमों को छुपाया न करो आंसू बनाकर बहाया न करो दिल की किताब पे लिखते हो सारे गम आप बहुत खुश हो ये जताया न करो हम जानते हैं आपकी ये मुस्कुराहट झूटी है फिर भी बैठे हैं आप इस झूटी मुस्कुराहट का नकाब पहने हुए कभी इस नकाब को उतारा तो करो अब लगता है भर जाएगी गमों से दिल की ये किताब तभी उतरेगा इस झूटी मुस्कुराहट का नकाब