एक मदिरा की बोतल पुरानी हो तुम ! जग -नियंता की अद्भुत निशानी हो तुम ! जो लिखी ना गई या पढ़ी ना गई , सिर्फ दिल में बसी इक कहानी हो तुम ! अशांत (इंदौर )