यादों का घर ढल जा ए शाम घर जाना चाहता हूं मुदतो हो गए उनसे मिले मिलकर उनकी आंखों में उतर जाना चाहता हूं।। जब ढल जाती है शाम तो रात हो जाती है। फिर उसके बाद घर की याद बहुत आती है।। निगाहें घर को, पर कदम सफर की तरफ जाते हैं। घर के लिए घर से निकलना है, मेरी मजबूरियां बताती है। bhavna pindari #YaadonKaGhar