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चाहत नहीं की समंदर गहरा देखूँ, तुम्हें हरपल मेरे

चाहत नहीं की समंदर गहरा देखूँ, 
तुम्हें हरपल मेरे पास ठहरा देखूँ।
ना चाँद देखूँ ना ही सितारे देखूँ, 
जब भी देखूँ, तुम्हारा चेहरा देखूँ।।

©Govind Pandram #तुम्हारा_चेहरा
चाहत नहीं की समंदर गहरा देखूँ, 
तुम्हें हरपल मेरे पास ठहरा देखूँ।
ना चाँद देखूँ ना ही सितारे देखूँ, 
जब भी देखूँ, तुम्हारा चेहरा देखूँ।।

©Govind Pandram #तुम्हारा_चेहरा