तेरा रूठ कर आंसू बहाना भूलूं कैसे, तेरा खुद से दूर जाना भूलूं कैसे । मुझे भूख नहीं कहने पर तेरा भूखा रहना भूलूं कैसे, मेरे सिरहाने खड़े होकर पूरी रात जागना भूलूं कैसे । आखरी बार आंखे बंद की जब तुमने तो लगा तुम सोए हो , सोचता हूं आज भी तुम मेरे लिए आखरी रात भी कितना रोए हो । यह सोचकर कि मेरा बेटा अकेले रह जायेगा इस जहां में, कैसे रहेगा वो मतलबी इस दुनिया वाले लोगों के पनाह में । आंसुओं को देखकर मैं बेवकूफ सा खड़ा रहा वहां यूं, समझ ना सका की वो आसूंओं का सैलाब तेरे प्यार का निशानी था । अपने साथ छोड़ देते हैं यहां हर मुकां पे ऐसे, तू ना जाने किस मिट्टी की बनी थी मां । आज आंसू भी कुछ कह रहे हैं मुझसे, तेरे करीब होने को दिल तड़प रहा हो जैसे । सर पे हाथ रख कर एहसास तो दिला अपने होने का, मुझे अपने गोद में रख कर एहसास तो दिला चैन से सोने का । ©शिवम् सिंह भूमि मां 😢 #Light