जो हर बार अधूरी रह जाये वो सबसे खूबसूरत कविता हो तुम सुनते ही दिल को भा जाए वो उर्दू की ग़ज़ल हो तुम वाह वाह करने को दिल करे या फिर वो चार पंक्तियो वाली शायरी हो तुम क्या हो तुम, अपने आप ही इनबॉक्स में उंगलिया लिख देती है वो hi hello हो तुम सुबह दुपहर शाम जिसकी लगती है तलब वो वाली चाय हो तुम क्या हो तुम, सपने में एक चेहरा हर रोज़ आता है क्या वो चेहरा हो तुम मेरी नज़र किसी ओर पर नही पड़ती क्या मेरी आँखों पे लगा वो पहरा हो तुम क्या हो तुम, कहना भी होता है मगर कहा नही जाता वो महोब्बत का पहला इज़हार हो तुम घायल हुए पड़े है जिसके दीदार के वार से क्या बही औज़ार हो तुम क्या हो तुम, मैं तुम्हें तकदीर बनाना चाहती हूं कही मेरा अतीत तो नही हो तुम सिर्फ हिंदुस्तान में मनाई जाए वो दीवाली या दोनों देशो का त्योहार ईद हो तुम क्या हो तुम, तेरी याद में आँसुओ के ज़रिए बह जाए वो काजल हो तुम बिन मौसम के भी खूब बरसता है या वो बादल हो तुम क्या हो तुम, सिर्फ में ही नही मेरे इश्क़ में क्या फणा हो तुम, हर किसी से नही होती क्या वो महोब्बत बेपन्हा हो तुम क्या हो तुम, For someone special