मुरली मनोहर गोविंद गिरधारी, तेरी छवि प्रभु दुनिया में न्यारी सूरत है रमणीय कृति है प्यारी, जैसे खिली हो पुष्पों की क्यारी सजल तेरे नेत्रों में यमुना का पानी, मुख में भरा है करुण मधुर वाणी हृदय में तेरे सकल विश्व की कहानी, अधरों पर है केवल नाम राधा रानी सूरत में तेरी अमृत बसी है, श्रृंगार में अनुपम शोभा बसी है तुझसे ही चमके सूरज की लाली, तेरी महिमा मालिक जगत में निराली तू जो हंसे तो हंसे सृष्टि सारी, गर बहे तेरे आंसू, तो आए विध्वंस की बारी तू चाहे तो रोगी भी स्वस्थ रहें, तू चाहे तो विपत्ति न कष्ट रहे देख लू ग़र जो तेरा रोज मुखड़ा, मिलता है मुझको आनंद का टुकड़ा मोर पंख से मस्तक सजाना, मुरली के तानों से वैराग्य गाना गोपियों के संग रास रचाना, ख्वाबों सा लगता तेरा हर फसाना जीवन से गम का ही भोजन मिला है, जरा मुझे आनंद की रोटी खिला ना डूब रही मेरी कश्ती ए मालिक, जरा मेरी कश्ती किनारे लगा ना बहुत ही सुना तेरे मुरली के चर्चे, जरा आज फिर तू वो मुरली बजा ना बुलाते थे तुम जिससे राधा को पहले , जरा आज फिर तू वो धुन गुनगुना ना बरसों से व्याकुल है नेत्र ये मेरे , जरा अपनी अनुपम छटा तू दिखा ना सुनाकर स्नेहसंगीत मुरारी, मेरे अधीर कर्णों को तृप्ति दिला ना विकल है ह्रदय तेरे दर्शन को मालिक, जरा अपने दर्शन की अमृत पिला ना करुण प्रेम संगीत सुनाते थे जैसे, वही राग फिर आज हमें भी सुना ना ©Verma Priya #Poetry #Quote #Love #poem #Nojoto #me #Twowords #Shayari #story #me