कुछ कह नहीं सकता हूँ, मैं दोस्ती के बारे में.. मैंने आजतक कोई दोस्त बनाया ही नहीं... बचपन से ही कर ली मैंने.. दुश्मनी इस जहां से.. जुर्म क्या किया मगर ये जान पाया ही नहीं... मैं गलत हूँ.. या सही, ये भी नहीं जानता.. मैंने दिल से किसी को भी अपनाया ही नहीं... ऐसा नहीं है कि किसी को गम दिया हो मैंने.. हाँ.., जो खुश है उनसे हाथ मिलाया ही नहीं... तकलीफ नहीं है मुझे किसी को खुश देखकर.. पर मैं गम से अपने कभी ऊभर पाया ही नहीं... खुद को दूर ही रखा मैंने इस जमाने से.. कोई अपना भी है?? मैंने आजमाया ही नहीं... सुना है.. भरोसा करना होता है दोस्ती में.. मैंने कभी किसी पर भरोसा.. जताया ही नहीं... किस्मत वालों को ही नसीब होती है दोस्ती शायद किस्मत को मेरी.. मैं ऱास आया ही नहीं.. nishank_pandit मैंने आजतक कोई दोस्त बनाया ही नहीं...💔💔