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पहले अजनबी था, फिर जानकार हुआ, फिर बोला धीरे-धीरे

पहले अजनबी था, फिर जानकार हुआ,
फिर बोला धीरे-धीरे मुझे अपना समझ लो...
अब जब इस कहानी के हसर का वक़्त आया,
तो कितना आराम से बोल दिया, सपना समझ लो...
मेरी मर्जी, मेरा वजूद कहां तक चला बता,
चल कोई ना, खुश रहना, शमशान ही मत बन जाना तुम...
जो लोगों को रोके सुनाता फिरूं,
वो कहानी मत बन जाना तुम...
अगर बनो तो होठों की हंसी बनो,
आंखो का पानी मत बन जाना तुम...

©chandra_the_unique aankho ka paani mat ban jana tum...  Shalini Singhyan ऋतेष Sri Radhy pooja Heena khan
पहले अजनबी था, फिर जानकार हुआ,
फिर बोला धीरे-धीरे मुझे अपना समझ लो...
अब जब इस कहानी के हसर का वक़्त आया,
तो कितना आराम से बोल दिया, सपना समझ लो...
मेरी मर्जी, मेरा वजूद कहां तक चला बता,
चल कोई ना, खुश रहना, शमशान ही मत बन जाना तुम...
जो लोगों को रोके सुनाता फिरूं,
वो कहानी मत बन जाना तुम...
अगर बनो तो होठों की हंसी बनो,
आंखो का पानी मत बन जाना तुम...

©chandra_the_unique aankho ka paani mat ban jana tum...  Shalini Singhyan ऋतेष Sri Radhy pooja Heena khan