#OpenPoetry चंद मुलाकातों में दिन बदल गए रास्ता वही रहा,बस अरमान बदल गए साजिशों के चलते इश्क़ कुछ ऐसा हुआ दुश्मन था जमाना,पर देखे तो अपने भी बदल गए समुंदर की किनारियों तक सैलाब भरा था समेटने बैठे तो आसुओं में बदल गए मुस्कुराता चेहरा जब रोज देखा गया, तो दुश्मन भी अपने फिर दोस्त में बदल गए मोहब्बत के लब थोड़े हम भी छू कर आए है देखो तो जरा, हमारे ख्वाब ही बदल गए अंदाजा इश्क़ का, जमाना फिर लगा ना सका लिखी हुई बात के, हर रोज पन्ने बदल गए मुलाकात भी हुई और कई बार बात भी फैसले हमारे थे, हम बदले फिर सब बदल गए #openpoetry