पत्थरों के शहर में शीशे सा टूटती रही उम्र भर इश्क के नाम पे वो जिश्म लूटता रहा उम्र भर मैं खुद को उनमें तलाशती रह गई मुझको मुझी में दफनाते रहे उम्र भर मुझको तो अपना कर लिया था उन्होंने पर मेरे हो ना सके वो उम्र भर युँ तो दुर्गा, लक्ष्मी का दर्जा दिया गया हमें फिर राक्षसों के जैसे नोचते रहे उम्र भर #Marital #Rape