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पत्थरों के शहर में शीशे सा टूटती रही उम्र भर इश्

पत्थरों के शहर में
शीशे सा टूटती रही उम्र भर 

इश्क के नाम पे वो
जिश्म लूटता रहा उम्र भर

मैं खुद को उनमें तलाशती रह गई
मुझको मुझी में दफनाते रहे उम्र भर

मुझको तो अपना कर लिया था उन्होंने
पर मेरे हो ना सके वो उम्र भर

युँ तो दुर्गा, लक्ष्मी का दर्जा दिया गया हमें
फिर राक्षसों के जैसे नोचते रहे उम्र भर #Marital #Rape
पत्थरों के शहर में
शीशे सा टूटती रही उम्र भर 

इश्क के नाम पे वो
जिश्म लूटता रहा उम्र भर

मैं खुद को उनमें तलाशती रह गई
मुझको मुझी में दफनाते रहे उम्र भर

मुझको तो अपना कर लिया था उन्होंने
पर मेरे हो ना सके वो उम्र भर

युँ तो दुर्गा, लक्ष्मी का दर्जा दिया गया हमें
फिर राक्षसों के जैसे नोचते रहे उम्र भर #Marital #Rape