उमीद से आशा तक, एक किरण दौड जाती है, जब साथ हो अपनो का तो हार भी जीत मे बदल जाती है, हम तो मुसाफिर हैं, कभी रास्ते तो कभी मंजिल बदलते फिरते हैं, एक खुद से उमीद हमारे जज्बे को जवाँ रखती हैं, फिर कितनी भी मुस्किल क्यों ना हो राहें, हर मंजिल हमसे मिलने की दुवा करती है, तब जिंदगी असां हो जती है , तब जिंदगी असां हो जती है ।। by shiwangi #उमीद से #आशा