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ईमानदारी की दुकाने भरी पड़ी हे बेईमानो से , ओर समजद

ईमानदारी की दुकाने भरी पड़ी हे बेईमानो से ,
ओर समजदारी बिक रही हे सरेआम जमानों में। बड़ी ही बेदर्दी से वो आके मुझसे टकराई।।
लगा जैसे कहि दिल तोड कर हो आई।।

उसकी भीगी आंखे पर पलको का यु जुकना।।
मानो जैसे चांद का तारो के साथ जमीन पर उतरना।।

बिन कुछ कहे पलट गई वो ऐसे ।।
बिना पानी के तड़पती मछली हो जैसे ।।
ईमानदारी की दुकाने भरी पड़ी हे बेईमानो से ,
ओर समजदारी बिक रही हे सरेआम जमानों में। बड़ी ही बेदर्दी से वो आके मुझसे टकराई।।
लगा जैसे कहि दिल तोड कर हो आई।।

उसकी भीगी आंखे पर पलको का यु जुकना।।
मानो जैसे चांद का तारो के साथ जमीन पर उतरना।।

बिन कुछ कहे पलट गई वो ऐसे ।।
बिना पानी के तड़पती मछली हो जैसे ।।