1222 1222 1222 1222 निगाहें आपकी कहने लगी अब अज़नबी मुझको कहा करतीं वही नज़रें कभी जो ज़िन्दगी मुझको ! ख़ता किसकी रही होगी भला किसको पता है ये बुझा था चाँद तो दी जुगनुओं ने रोशनी मुझको ! भला सूरज मुझे क्या डर दिखायेगा ज़रा सोचो तुम्हारा साथ है तो धूप लगती शबनमी मुझको ! दिलों में प्यार का रोशन अगर होता कोई दीपक निग़ाहों में तुम्हारी फिर नज़र आती नमी मुझको ! तुझे इतना गुमाँ है तू बड़ा सबसे ज़माने में मुबारक़ हो गगन तुझको लगे प्यारी ज़मीं मुझको ! ©malay_28 #लगे मुझको