सोचा कलम से लिखा हुआ एक जवाब दूं लिखकर शब्दों को कुछ इस तरह नवाब दूं वतन से प्यारी कोई मोहब्बत नहीं है मेरी जिसे आज बागों से तोड़कर एक गुलाब दूं वतन से प्यारी... #मुसाफिर #मंजिल #का कवि रणजीत सिंह चारण रणदेव sk😘 कवि चंचलशर्मा जमील @अहमद