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तुम्हारी मर्जी के बिना ओ कान्हा, ये वक्त भी अपाहिज

तुम्हारी मर्जी के बिना ओ कान्हा,
ये वक्त भी अपाहिज सा है।
ना दिन खिसकता है और
ना ही ये रातें खत्म होती हैं।
इंतेजार में तुम्हारी ओ कान्हा,
दिन-रात मेरी ये आंखे बरसती है।
ना जाने कब होगी मर्जी तुम्हारी,
विरह के वक्त को खत्म करने की।
मेरी ये आँखे दिन-रात ओ कान्हा,
सिर्फ तुम्हें देखने के लिए तरसती हैं।

©®राधाकृष्णप्रिय Deepika कृष्ण जी के विरह में राधा जी के ह्रदय की वेदना एवं व्यथा।
#राधा 
#कृष्णा 
#प्रेम 
#विरह 
#मिलन
#इन्तेजार 
#Nojoto #nojotohindi
तुम्हारी मर्जी के बिना ओ कान्हा,
ये वक्त भी अपाहिज सा है।
ना दिन खिसकता है और
ना ही ये रातें खत्म होती हैं।
इंतेजार में तुम्हारी ओ कान्हा,
दिन-रात मेरी ये आंखे बरसती है।
ना जाने कब होगी मर्जी तुम्हारी,
विरह के वक्त को खत्म करने की।
मेरी ये आँखे दिन-रात ओ कान्हा,
सिर्फ तुम्हें देखने के लिए तरसती हैं।

©®राधाकृष्णप्रिय Deepika कृष्ण जी के विरह में राधा जी के ह्रदय की वेदना एवं व्यथा।
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कृष्ण जी के विरह में राधा जी के ह्रदय की वेदना एवं व्यथा। #राधा #कृष्णा #प्रेम #विरह #मिलन #इन्तेजार # #nojotohindi