मैं एक भटका मुसाफ़िर शायद तेरी मोहब्बत-ए-राह पर निकल पड़ा हूँ मंजिल का तो पता नहीं पर तुझे पाने में मगरुर हो चुका हूँ । -"@jay" #musafir