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मेरे बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया। उसकी मंजुल मूर

मेरे बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया। 
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया॥ 

मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ। 
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ॥ 

जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया। 
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया॥ #bachpan
मेरे बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया। 
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया॥ 

मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ। 
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ॥ 

जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया। 
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया॥ #bachpan