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क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर...जिसे समय की सीमा लाँ

क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर...जिसे समय की सीमा लाँघ गई.... 
रुकना है रुक पर याद रहे...ठहरेगा कोई सांथ नहीं.... 
जिस राह निकलकर गया समय...वो राह कहाँ दोहराता है?.. 
जो आज है वो कल क्या होगा? ... ये वही समय बतलाता है.. 
... ये समय तो  चलता जाता है..
... ये समय तो चलता जाता है.. 
_s_d
✍️©सर्वेश कु. दुबे #motivationalpoem समय तो चलता जाता है... 
क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर....
जिसे समय की सीमा लाँघ गई.... 
रुकना है रुक पर याद रहे... 
ठहरेगा कोई सांथ नहीं.... 
जिस राह निकलकर गया समय... 
वो राह कहाँ दोहराता है?... 
जो आज है वो कल क्या होगा? ...
क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर...जिसे समय की सीमा लाँघ गई.... 
रुकना है रुक पर याद रहे...ठहरेगा कोई सांथ नहीं.... 
जिस राह निकलकर गया समय...वो राह कहाँ दोहराता है?.. 
जो आज है वो कल क्या होगा? ... ये वही समय बतलाता है.. 
... ये समय तो  चलता जाता है..
... ये समय तो चलता जाता है.. 
_s_d
✍️©सर्वेश कु. दुबे #motivationalpoem समय तो चलता जाता है... 
क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर....
जिसे समय की सीमा लाँघ गई.... 
रुकना है रुक पर याद रहे... 
ठहरेगा कोई सांथ नहीं.... 
जिस राह निकलकर गया समय... 
वो राह कहाँ दोहराता है?... 
जो आज है वो कल क्या होगा? ...
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#motivationalpoem समय तो चलता जाता है... क्यों पिट रहा सर उस चौखट पर.... जिसे समय की सीमा लाँघ गई.... रुकना है रुक पर याद रहे... ठहरेगा कोई सांथ नहीं.... जिस राह निकलकर गया समय... वो राह कहाँ दोहराता है?... जो आज है वो कल क्या होगा? ...