नही मालूम था कि मेरी तन्हाई मे कोई खुद को शामिल कर लेगा, नही मालूम था कि मेरे अल्फाज़ो को कोई अपने जीने की वजह बना लेगा, लिखने की कोशिश की थी अपने जज़्बातो को कागज पर मैने, नही मालूम था कि कोई उसे अपना समझ कर प्यार कर लेगा, दर्द लिखा था किसी ओर के लिए, चाहत मेरी थी किसी ओर के खातिर, नही मालूम था कि कोई उन चाहतो को खुद के हिस्से का दर्द समझ लेगा, डर सा लगता है दर्द बयान करने मे फिक्र सी होती है प्यार के एहसासो को लिखने मे, नही मालूम था कि उसके दिये दर्द को कोई अपना दर्द समझ कर प्यार कर लेगा, मेरे हर इक इक अल्फाज़ो मे हक उनका है ये समझ ना पाए वो, नही मालूम था कि किसी और के हक पर कोई अपना हक जता लेगा । #यादे