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हमने वीरानियों के गाँव बसाये हैं, तभी हम पर बियाबा

हमने वीरानियों के गाँव बसाये हैं,
तभी हम पर बियाबानों के साये हैं,
ज़िन्दगी  इस क़दर रूठी है हमसे,
अपना समझा जिन्हें, वे पराए हैं ?
हमने वीरानियों के गाँव बसाये हैं,
तभी हम पर बियाबानों के साये हैं,
ज़िन्दगी  इस क़दर रूठी है हमसे,
अपना समझा जिन्हें, वे पराए हैं ?