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पता नहीं किस जन्म का श्राप था उसपर... वो जिस भी रि

पता नहीं किस जन्म का श्राप था उसपर... वो जिस भी रिश्ते को जीना चाहता वो रिश्ता बीच में ही बिखर जाता. रिश्ते को भरपूर जीना चाहता था पर आखिर में ठगा सा रह जाता था अपने अकेलेपन के साथ. उसके अकेलेपन ने उसका खूब साथ दिया..... कभी साथ ही नहीं छोड़ा...
पता नहीं किस जन्म का श्राप था उसपर... वो जिस भी रिश्ते को जीना चाहता वो रिश्ता बीच में ही बिखर जाता. रिश्ते को भरपूर जीना चाहता था पर आखिर में ठगा सा रह जाता था अपने अकेलेपन के साथ. उसके अकेलेपन ने उसका खूब साथ दिया..... कभी साथ ही नहीं छोड़ा...