Nojoto: Largest Storytelling Platform

अर्श की कविता 【दाऊ】 खाटू सा मैं, बलराम सा वो समग्र

खाटू सा मैं, बलराम सा वो
समग्र चाहतें पूरी कर दे
ऐसा हीं था, बलवान था वो ।।

चल पड़ा जब, जीवन पथ पर
चढ़ती यमुना को चीरे
तक्षक का वो रूप धरे था
सपनें बुनता मैं, उसके नीचे
arsh1145292537229

Arsh

Bronze Star
New Creator

खाटू सा मैं, बलराम सा वो समग्र चाहतें पूरी कर दे ऐसा हीं था, बलवान था वो ।। चल पड़ा जब, जीवन पथ पर चढ़ती यमुना को चीरे तक्षक का वो रूप धरे था सपनें बुनता मैं, उसके नीचे #Brother #Society #HindiPoem #kavita

3,407 Views