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अर्श की कविता 【दाऊ】 खाटू सा मैं, बलराम सा वो समग्र

खाटू सा मैं, बलराम सा वो
समग्र चाहतें पूरी कर दे
ऐसा हीं था, बलवान था वो ।।

चल पड़ा जब, जीवन पथ पर
चढ़ती यमुना को चीरे
तक्षक का वो रूप धरे था
सपनें बुनता मैं, उसके नीचे

सम्मान सा वो, अभिमान था वो
दाऊ नहीं बस, ढाल था वो ।।

जीवन का संगीत मधुर पर
हो अगर तुममे बाकि
मादा जुझारू होकर लड़ने की
गिरकर पुनः सँभलने की ।।

इसी बात से दाऊ ने सीखा
था गिरकर, उठकर चलना
छोड़ दिया था, उसने मुझको
जब हमनें, चाहा था उड़ना
ढीला कर दे, मांझा खोला
पटक कर सिर, भूमि पर औंधा
हाय रे ! चोट लगी भारी
चीख से मेरी, दुनियाँ जागी

समझ चुका हूँ, खुद को सुनना
काँटों में से पुष्प को चुनना
जान चुका दाऊ मैं बात
जिन्हें सिखाया तुमने दिन-रात
अश्रु नहीं, मुस्कान से खींचों
अपने सपनों की बुनियाद
साथ खड़े है तेरे अपने
आँख घुमा, देखो इक बार

विश्वाश है जो, आधार मेरा
और है, इस जग की बुनियाद
छ्त्र लिए स्वजन खड़े है
पर तुझे बनना होगा ‘जग-पाल”

कितनी भी भारी, वृष्टि आये
चाहे जी कहीं, फँस-सा जाए
मन में तुम रक्खो विश्वास
अपनों का साथ तो समग्र विकास ।।

रचना की तिथि:-20-अप्रैल-2017
#kavita #hindipoem #brother #society
arsh1145292537229

Arsh

Bronze Star
New Creator

खाटू सा मैं, बलराम सा वो समग्र चाहतें पूरी कर दे ऐसा हीं था, बलवान था वो ।। चल पड़ा जब, जीवन पथ पर चढ़ती यमुना को चीरे तक्षक का वो रूप धरे था सपनें बुनता मैं, उसके नीचे सम्मान सा वो, अभिमान था वो दाऊ नहीं बस, ढाल था वो ।। जीवन का संगीत मधुर पर हो अगर तुममे बाकि मादा जुझारू होकर लड़ने की गिरकर पुनः सँभलने की ।। इसी बात से दाऊ ने सीखा था गिरकर, उठकर चलना छोड़ दिया था, उसने मुझको जब हमनें, चाहा था उड़ना ढीला कर दे, मांझा खोला पटक कर सिर, भूमि पर औंधा हाय रे ! चोट लगी भारी चीख से मेरी, दुनियाँ जागी समझ चुका हूँ, खुद को सुनना काँटों में से पुष्प को चुनना जान चुका दाऊ मैं बात जिन्हें सिखाया तुमने दिन-रात अश्रु नहीं, मुस्कान से खींचों अपने सपनों की बुनियाद साथ खड़े है तेरे अपने आँख घुमा, देखो इक बार विश्वाश है जो, आधार मेरा और है, इस जग की बुनियाद छ्त्र लिए स्वजन खड़े है पर तुझे बनना होगा ‘जग-पाल” कितनी भी भारी, वृष्टि आये चाहे जी कहीं, फँस-सा जाए मन में तुम रक्खो विश्वास अपनों का साथ तो समग्र विकास ।। रचना की तिथि:-20-अप्रैल-2017 #kavita #HindiPoem #Brother #Society

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