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मैं मुँह फेर के बैठी थी उससे, सबने तो वही सोचा होग

मैं मुँह फेर के बैठी थी उससे, सबने तो वही सोचा होगा, 
मेरी खिड़की पर उसकी परछाई थी, आखिर ये किसने देखा होगा...
क्यूँकि इल्म था मुझको न देखना उसको, इसमें मेरा ही ख़सारा होगा, 
तुझपे एक वही चाँद था पाखी, उसपे नया सितारा होगा... 


(ख़सारा - नुकसान, घाटा )
(इल्म - जानकारी ) #adhurimohabbat #tutadil #hoga #yqtales #yqquotes
मैं मुँह फेर के बैठी थी उससे, सबने तो वही सोचा होगा, 
मेरी खिड़की पर उसकी परछाई थी, आखिर ये किसने देखा होगा...
क्यूँकि इल्म था मुझको न देखना उसको, इसमें मेरा ही ख़सारा होगा, 
तुझपे एक वही चाँद था पाखी, उसपे नया सितारा होगा... 


(ख़सारा - नुकसान, घाटा )
(इल्म - जानकारी ) #adhurimohabbat #tutadil #hoga #yqtales #yqquotes