पिता! तिलिस्म तेरी शख़्सियत का है सुहाने सपने -सा तेरा एहतराम करने को जी चाहता है थोड़ा ख़ौफ़ भी लगता है ढूँढ़कर ख़ज़ाना कोशिश का तुझसे बात करता हूँ हौसला मंज़िल तक पहुँचने का तेरी ताब दे ही जाती है # पिता! तू हौसले का ख़ज़ाना है