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फरियाद करके थक गई थी जाने कब से ज़िन्दगी से हार के

फरियाद करके थक गई थी जाने कब से
ज़िन्दगी से हार के चली यहां से।
चीखें गूंजती रही मासूम की
नामर्द बने सब देखते रहे
काट फेंके अंगुलिया हैवान के
उठे इज्जत के तरफ मासूम की
कुचली जाती आबरू हररोज ही
मिलके उनके फोर दे गंदी नजर 
बैठें है गद्दी पर नवाब जो
पुछती हूं उनसे ये सवाल मैं
आखिर कब तक यूं घूटें,सहे
कब तक।

©Sadhana #Stoprape
फरियाद करके थक गई थी जाने कब से
ज़िन्दगी से हार के चली यहां से।
चीखें गूंजती रही मासूम की
नामर्द बने सब देखते रहे
काट फेंके अंगुलिया हैवान के
उठे इज्जत के तरफ मासूम की
कुचली जाती आबरू हररोज ही
मिलके उनके फोर दे गंदी नजर 
बैठें है गद्दी पर नवाब जो
पुछती हूं उनसे ये सवाल मैं
आखिर कब तक यूं घूटें,सहे
कब तक।

©Sadhana #Stoprape
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