जिन्हें ढूंढते हुए रस्ता भटक गए आज रस्ता मिला पर वो गुम हुए। कई लोग मिले हमे चलते वक्त हात छुड़ाए अपना और गैरो ने हाथ बढ़ाए। आखें तो वहीं है दिल में बस ज़ख्म है कैसा रिश्ता जो आखों से आसुं बह रहे। कास होता हमारा और उसका ऐसा रिश्ता हम दोनों ठहर जाए और वक्त ढल जाए। मैं खड़ी हूं इंतजार के पल गिनकर कास उसको भी कोई मेरे तड़प गिनवाए। Some stir Some stable But feelings are not feeble #yqbaba#yqdidi