कुछ कदम साथ चलने दे ,मैं लौट आऊँगा । मिल जाए तुझे मंजिल, मैं लौट आऊँगा ।। तु यूँ रहे मायूस तो अच्छा नहीं लगता । तेरे होठों को हंसी दे दूँ, मैं लौट आऊँगा ।। बहुत अँधेरा है सफर-ए-जिन्दगी की गलियों में । उन्हें सितारों से सजा दूँ, मैं लौट आऊँगा ।। काँटोंभरी है राह और सफर लम्बा है । तेरी राहों में फूल बिछा दूँ, मैं लौट आऊँगा । कातिल हैं यहाँ लोग , दरवेश के नकाब में । तुझे हमनवा मिल जाए, मैं लौट आऊँगा ।। बहुत कश्तियाँ डूबी हैं इस खामोश समन्दर में । तुझे किनारा मिल जाए , मैं लौट आऊँगा ।। ओमी ©Omi Sharma #HAPPY_ROSE_DAY