० के लोग सच ही तो कह रहे हैं है वक़्त बाज़ार का नहीं अब जो बेचते और खरीदते थे घरों को अपने चले गए हैं मुझे बुलाने जो आए थे वो। ० खफा-खफा से गए हैं वापस मुझे है बस इंतज़ार इसका के में मोहब्बत को नज़र करदुं वजूद अपना। #lockdown #corona #शायरी