़शहर के सपनो में,,,जागता है,,,,ख्वाब बुलदियों का,जनाब बुलदियों का,,,,,तभी तो शहर कहते है,,,,,,,वैसे मेरा देश गाँवो मे बसता है,,गाँव भारत की आत्मा है,,,, लेकिन शहर भी अपना विशेष स्थान रखता है,,,,शहर को शरीर कह सकते है जैसे नित नुतन परिवर्तन शरीर मे होते है ठीक वैसे ही. परिवर्तन शहर मे होते है,,,गाँव मे परिवर्तन नही होते गाँवो मे हमे अपनी संस्कृति मिलती है,,,,,,,यदि गाँवो मे परिवर्तन होते है तो ,,,,इसका कारण शहर है या वे लोग जो गाँवो से निकलकर शहर जाकर पुन गाँव आते बस यही से गाँवो की रुप रेखा बदलने लगती' है,,,,अन्यथा गाँव स्थिर है परिवर्तन नगण्य देखने को मिलता है,,, लेकिन गाँवो की जिदंगी का मजा कुछ और है,,,,,,,,,,,गाँव स्वर्ग है,,,,,,,,,,आत्मा है,,,शहर शरीर है,,,, परिवर्तनशील है,,,,,,,,,,,,,,,, मुझे गर्व है कि" मैं ग्रामीण हुँ,,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की,,9549518477 @Vidya Bhushan Kumar@Parveen@Priyanka Upadhyay@Nilam Kumari Pallavi 141193