"गमों की बारात लेकर आ गया तेरी यादों का कारवां कैसा त्यौहार लेकर आ गया.
ढूंढती थी जिस चाँद में मेरा चेहरा करवाचौथ पे तुम,उस चाँद में आज मुझे तेरा चेहरा नज़र आ गया.
औरों ने तो खायें होंगे लज़ीज़ पकवान आज,तोड़ के व्रत मेरी तो भूख तेरा चेहरा ही मिटा गया.
तुझसे जुदा होने का दर्द आज आंखों से बाहर आ गया जम के की बारिश प्यास सारी दिल की बुझा गया।"