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चलो इश्क़ में, हम राग छेड़ते हैं न हम तुम्हारे, न

चलो इश्क़ में, हम राग छेड़ते हैं 
न हम तुम्हारे, न तुम हमारे 
इब्तिदा-ए-इश्क़ में ख़्वाब देखते हैं ।

प्यार के नये-नये तराने लिखते हैं 
सुनकर खिल जाये दिल की कलियाँ 
ऐसी खुशियों का सौग़ात बाँटते हैं ।

न सुर बांटते हैं, न ताल बांटते हैं 
किताबों सा पढ़कर एहसास बांटते हैं 
चलो सोये अल्फाज़ों में जान डालते हैं ।

फासलों के कारण अनजान रास्ते हैं 
मौसम के तक़ाज़े में दर पे तुम्हारे 
तन्हा सफ़र में हम आस देखते हैं ।
चलो इश्क़ में, हम राग छेड़ते हैं 
न हम तुम्हारे, न तुम हमारे 
इब्तिदा-ए-इश्क़ में ख़्वाब देखते हैं ।

प्यार के नये-नये तराने लिखते हैं 
सुनकर खिल जाये दिल की कलियाँ 
ऐसी खुशियों का सौग़ात बाँटते हैं ।

न सुर बांटते हैं, न ताल बांटते हैं 
किताबों सा पढ़कर एहसास बांटते हैं 
चलो सोये अल्फाज़ों में जान डालते हैं ।

फासलों के कारण अनजान रास्ते हैं 
मौसम के तक़ाज़े में दर पे तुम्हारे 
तन्हा सफ़र में हम आस देखते हैं ।