फ़रियाद ★★★ गीतिका ★★★ तुम फ़रियादी का फ़रियाद बनो , बस यही आस लिए मैं बैठा हूँ ! एक प्यासा चातक पक्षी जैसा , मन में बस प्यास लिए मैं बैठा हूँ !! इन शबनम बूदों की चाहत में मैं , ऋतु बरखा के इंतजार में बैठा हूँ ! तुम कलियों से मुस्कुराओ ज़रा , अरमानो की याद सजोये बैठा हूँ ! इस तम हृदय में कोई पुष्प खिले , उम्मीद का दीपक जलायें बैठा हूँ !! तुम जिस पथ की बाग बहार बनो , उस पथ पर नयन बिछाए बैठा हूँ ! तुम पूर्णिमा रात की चाँदनी बनो , सारी रात खुद को जगाए बैठा हूँ !! उस दामिनी के कामिनी सूरत का, छवि दर्पण का मेहमान बन बैठा हूँ ! आंखे पथरा गयी हैं पत्थर निहारते , प्रेम पथ का मैं अनजान बन बैठा हूँ !! --{{{ कवि राहुल पाल }}}-- #fariyad ★★★ गीतिका ★★★ तुम फ़रियादी का फ़रियाद बनो , बस यही आस लिए मैं बैठा हूँ ! एक प्यासा चातक पक्षी जैसा , मन में बस प्यास लिए मैं बैठा हूँ !! इन शबनम बूदों की चाहत में मैं , ऋतु बरखा के इंतजार में बैठा हूँ !