आना हो तो कुछ पल के लिए मेरे महफ़िल में आ जाना। हमारे महफ़िल में लोगों की आदत है प्यार लुटाना। हम तो टूट चुके हैं,फूलों में रहने वाले काँटो के चुभन से। लेकिन अभी भूले नही हैं, हम गैरों के पैरों तले फूल बिछाना। आना हो तो कुछ पल के लिए आ जाना;मेरे गरीबखाने में यहाँ भी है;सुकून का खजाना। आना हो तो आ जाना!