अनसुनी अनजानी रहो में एक आस बाकी क्यों है इस तन्हा जिंदगी में अब भी सांस बाकी क्यों है वैसे तो सारा समंदर है मेरे पास फिर भी जीवन में प्यास बाकी क्यों है रहती तो वो दिल मे थी फिर उसकी तलाश बाकी क्यों है फासले बहोत है हमारे दरमियाँ फिर भी तुम्हे पाने की चाह बाकी क्यों है तेरी तलाश बाकी क्यों है