"हर हर महादेव" शीश में है गंग , कंठ में भुजंग , रूप शिव की मनोहारी है .!! काल के है काल , जो हाथ लिए कपाल , मेरे त्रिपुरारी है .!! कैलाश है वास जिनका , वो त्रिलोकी महेश जटाधारी है .!! आदि के अनंत , मिले कृपा दृष्टि तेरी , तुझसे विनती हमारी है .!! आदि से अनंत के महामिलन की रात्रि शीर्ष्णि गंगा भुजंगो गले लम्बते रूपमत्यद्भुतं सन्मनोहारकम्। सर्वसंहारक: कालकालो हर: सर्वदा त्वां मुदा रक्षयेत् सर्वथा।। हर हर महादेव