Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रेम में पड़ी स्त्री अबोध शिशु के समान होती है प

प्रेम में पड़ी स्त्री 
अबोध शिशु के समान होती है
पहचानती है बस स्नेह की भाषा
पलटती है केवल लाड़ की लिपि पर
सूंघ लेती है गंध पवित्र भावनाओं की
मचलती है सुनकर प्रेमी की आवाज़
ईश्वर स्वयं बचाते हैं प्रतिपल नासमझ को
प्रेम में डूबी स्त्री ईश्वर की गोद में खेलती है
शायर शुभ¡!
प्रेम में पड़ी स्त्री 
अबोध शिशु के समान होती है
पहचानती है बस स्नेह की भाषा
पलटती है केवल लाड़ की लिपि पर
सूंघ लेती है गंध पवित्र भावनाओं की
मचलती है सुनकर प्रेमी की आवाज़
ईश्वर स्वयं बचाते हैं प्रतिपल नासमझ को
प्रेम में डूबी स्त्री ईश्वर की गोद में खेलती है
शायर शुभ¡!