था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था, बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था. ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में, बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था. था पास मेरा हर अपना उस वक़्त, फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था. जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से, उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था. मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते देख कर, जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था. काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र देख कर, जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था. मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलों में मेरे लिए, उन्हीं दिलों के हाथों आज मैं जलाया जा रहा था. इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछते हैं। "और कितना वक़्त लगेगा" ©Ñîhâľ Tiwari Reality of Death source - internet #MereKhayaal