तह लगाकर रखी थी हमने ज़िन्दगी की चादर, और वक़्त कुछ यूं उसे, खेल में बर्बाद कर गया, सिलवटें ऐसी पड़ी कि, ना रही कोई कदर, किस्मत का महीन धागा, कुछ ऐसा उलझ गया । ©ऋषि सिंह #uljhane #nojotohindi #nojotonews #nojotofilms #kalamse #rshayari