समझौता क्यों करें हम इश्क़ करें ये सौदा क्यों करें हम हमें खुद के मिज़ाज का अंदाज़ा नहीं तुमसे वफ़ा करें ये जफ़ा क्यों करें हम तुम्हें खुद भी एतबार कहाँ तुम्हारे वादों पर फिर जीने मरने के वादे क्यों करें हम तुम्हारी चाहतों पे यक़ीं थोड़ा बहुत तो है मगर तुम हर वक़्त मुझको चाहो ये उम्मीद भला तुमसे क्यों करें हम -राज सिंह सूर्यवंशी . ©राज सिंह सूर्यवंशी #lost