वीर सपूत शहीद भगत सिंह राजगुरु सुुखदेव के बलिदान दिवस पर में उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूँ कविता शहीद ए आजम भगत सिंह कवि रामदास गुर्जर लिखूं लेखनी आज भगत की, जो आज़ादी का परवाना था । देश भक्त था क्षवीर भगत सिंह, इंकलाब का दीवाना था।। महीना सितंबर तारीख 28,1907 की साल रे। सरदार किशन के घर में जन्मा ,वीर भगत सिंह लाल रे।। विद्यावति माता ने भाइयों ,सिंह समान पाला था । दादा बाबा भाई बहन ,सबकी आंखों का तारा था। । 1919 में इनके आगे ,जलियांवाला बाग हुआ। डायर ने गोली चलवाई, वहां पर खूनी फाग हुआ। । चिंगारी थी जो इंकलाब की ,अब बन गई थी वह ज्वाला । कूद पड़ा आजादी रण में, वीर भगत सिंह मतवाला। । साण्डर्स मारा शेखर से मिलकर, असेंबली में बम गिराए थे। बदला लिया लाला जी का, जिन पर कोड़े बरसाए थे। । जेल गए थे भगत सिंह ,गोरों ने अद्भुत चाल रची। पहली बार जेल में जाकर, 116 दिन भूख हड़ताल रखी। । वो दीवाना टिका रहा ,उस इंकलाब के नारे पर। नहीं भगत का शीश झुका ,गोरों के खूब झुकाने पर। । रोम रोम में इंकलाब था ,ताब मूछों में रखता था। बीच कोर्ट में जज के आगे, दीवानों जैसा हंसता था। । राजगुरु सुखदेव भगत की, फांसी का जब ऐलान हुआ। स्वीकार सजा हंसकर कर ली, नहीं मन में कोई मलाल हुआ। । मां से मिलकर बोले भगत, मत नैनन नीर बहइये तू। बूढ़े बाबूजी को माता जाकर धीर बंधाई ए तू। । हे माता में तेरे दूध का ,सारा कर्ज चुकाऊंगा। जो दीवाने हैं आजादी के, सब में नजर तुझे मैं आऊंगा।। 23 मार्च का जब दिन आया, सारा भूमंडल डोल गया । जेल का हर एक कोना कोना ,रंग दे बसंती बोल रहा।। उन तीनों की फांसी को ,नीयत भी भांप गई होगी । चूमा होगा फांसी की रस्सी को ,तब वह भी कांप गई होगी। । बोला जल्लाद उन तीनों से, अंतिम इच्छा पूरी करने की। वह तीनों बोले हाथ खोल दो, इच्छा जाहिर की गले मिलने की।। रंग दे बसंती जब गाया होगा, गोरों के दिल दहल गए होंगे जल्लाद की आंखों के आंसू ,भी निकल गए होंगे।। इन वीरों की लाशों को ,गोरों ने घी से जलाया था। पता चला जब लोगों को ,तो सतलज मे फिकवाया था।। सब लोगों ने मिलकर उनकी, लाशों का क्रिया कर्म किया। शोक सागर में डूब गये, मिलकर वीरों को नमन किया। । धन्य धन्य है वह माता, जिसने इन को जन्म दिया । धन्य धन्य है ऐसे पिता ,जो बलिदानी सुत प्राप्त किया। । सूर्य☀ चन्द्र गगन पृथ्वी, यशगान तुम्हारा गाते हैं। वीर शहीदों तुम्हारे चरणों में ,श्रद्धा सुमन चढाते है।। इंकलाब जिंदाबाद कवि रामदास गुर्जर #शहीद #भगत #सिंह #हरप्रीत शशांक #कविरामदासगुर्जर