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ख्वाबों की खिड़की खोल, अपनी आँखों को चिढ़ाने दे



ख्वाबों की खिड़की खोल, 
अपनी आँखों को चिढ़ाने दे।
रात के साए में, 
तारों को सुन, 
किसी राज़ का पता करने दे।
चाँदनी रातों में, 
गुमनाम हवाएं, 
एक कहानी सुनाने दे।
पलकों के पीछे छुपे, 
अदृश्य सपनों को बहार निकाल, 
जीवन के रंगों को चुनने दे।
हर रात एक कहानी है, 
ख्वाबों की खिड़की से जुड़ी, 
मिलकर रंग भरने दे।

©Ruby Jha ‘बृजबाला ’
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